डॉ.ज्योत्स्ना शर्मा
1
कवि ऐसे मत डोलो
अर्थ अनर्थ करे
तोलो फिर कुछ बोलो ।
2
क्या बात लगी करने
बादल से धरती
फिर पीर लगी झरने ।
3
देंगें तो क्या देंगें
ग़म के शोलों को
वो सिर्फ हवा देंगें ।
4
अब यूँ न विचर तितली
धूप यहाँ ...दिन में !
कल डर-डर कर निकली ।
5
ऐसे न किरन हारी
जीत गई तम से
सूरज था सरकारी ।
6
उफ़ !आज हुआ बेकल
सुन-सुन के सागर
ये नदिया की कल-कल ।
-0-
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज शनिवार (14-12-13) को "वो एक नाम" (चर्चा मंच : अंक-1461) पर भी है!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
हृदय से धन्यवाद आपका आदरणीय |
Deleteसादर !
कवि ऐसे मत डोलो
ReplyDeleteअर्थ अनर्थ करे
तोलो फिर कुछ बोलो ।