Friday, 7 March 2014

एक हाथ में चाँदनी !!!

                                      चित्र गूगल से साभार 


इस बेमकसद शोर में,कलम रही जो मौन |
तेरे-मेरे दर्द को ,  और कहेगा कौन ||१ 


शब्दों में आराधना , अर्थ मिला बाज़ार |
अकथ कथा है पीर की , घर में भी लाचार ||

जीवन की संजीवनी , आप करे संघर्ष |
देख दशा ,तेरी दिशा , शोक करें या हर्ष ||


तितली , चिड़िया , मोरनी ,तुलसी नहीं ,न दूब
एक जहाँ इनसे अलग ,रचा आपने खूब ||

आज अँधेरों को चलो , दिखला दें यह रूप |
एक हाथ में चाँदनी  ,एक हाथ में धूप ||


लिखना है तुझको यहाँ ,खुद ही अपना भाग |
सरस सृजन की जोत तू , कलुष-दहन की आग ||

न्याय और अन्याय को , रच ऐसा संसार |
इत बरसे रस की सुधा , उत बरसे अंगार ||

महिला दिवस पर ...
हार्दिक शुभ कामनाओं के साथ ....
डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा
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12 comments:

  1. उपमाओं के ज़रिये सार्थक सन्देश देती हुई बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति।

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  2. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की
    हार्दिक शुभकामनायेँ ।

    सुंदर रचना ।

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  3. सार्थक संदेश देती रचना.
    शुभकामनाएँ !
    नई पोस्ट : पंचतंत्र बनाम ईसप की कथाएँ

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  4. बहुत ही सुन्दर और सार्थक रचना…भावों की गहराई तो है ही, साथ ही शब्दों की लयात्मकता भी है.
    अब सार्थक महिला दिवस मनाएँ, अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की शुभकामनाएँ …

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  5. सभी दोहे सार्थक सन्देश सँजोए हुए । यह दोहा बहुत ही गहन अर्थ की सम्पदा लिये हुए है- आज अँधेरों को चलो , दिखला दें यह रूप |
    एक हाथ में चाँदनी ,एक हाथ में धूप ||५

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  6. हृदय से धन्यवाद भाई जी !
    सादर !

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  7. Replies
    1. हृदय से आभार आपका !
      सादर
      ज्योत्स्ना

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