Friday, 2 May 2014

कजरारी अँखियाँ करें ......



डॉ.ज्योत्स्ना शर्मा

(बस चित्र के भाव पर .....एक प्रस्तुति ......)

कजरारी अँखियाँ करें ,आज वार पर वार।
हमसे जीतोगे पिया ,पाओगे तुम हार।।

चमकी चित में चाँदनी ,दम-दम दमके रूप ,
पाई जब से देह ने ,तेरे नेह की धूप।

यूँ तो तुमसे मिल हुईं ,सब आशा साकार ;
हमसे जीतोगे पिया ,पाओगे तुम हार।।

दुनिया ने सपने बुने ,हमने बुन ली प्रीत ,
ड्योढ़ी लँघी न लाज की , छोड़ न पाई रीत।

दुख देकर चाहा नहीं ,सुखों भरा संसार ;
हमसे जीतोगे पिया ,पाओगे तुम हार।।

अब किससे शिकवा करें ,कहाँ करें फरियाद ,
कौन पहर आई नहीं ,हमें तुम्हारी याद।

पलक मूँद,मन , कैद कर! हुकुम करे सरकार ;
हमसे जीतोगे पिया ,पाओगे तुम हार।।
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8 comments:

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    1. हार्दिक धन्यवाद आपका |

      सादर
      ज्योत्स्ना

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  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज शनिवार (03-05-2014) को "मेरी गुड़िया" :चर्चा मंच :चर्चा अंक:1601 में अद्यतन लिंक पर भी है!
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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    1. हार्दिक धन्यवाद आपका |

      सादर
      ज्योत्स्ना

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  3. सुंदर भाव, मन को छू जाती पंक्तियाँ... इस खूबसूरत रचना के लिए बधाई स्वीकारें..

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    1. हार्दिक धन्यवाद आपका |

      सादर
      ज्योत्स्ना

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  4. चित्र के भाव पर इतनी सुन्दर प्रस्तुति .. ..सामने साक्षात हो तो फ़िर क्या कहने। .
    बहुत सुन्दर .!

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    1. हार्दिक धन्यवाद आपका |

      सादर
      ज्योत्स्ना

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