Monday, 23 March 2015

कमल !


1- डॉ ज्योत्स्ना शर्मा 1 नील कमल ! शांत झील ने गाई मीठी ग़ज़ल । 2 ओस नहाए कमल गुलाबी ,या प्रभु मुस्काए । 3 धरा सजी है, नीली चुनरिया पे श्वेत कमल । 4 जागी थी झील कमल नयन ये हुए हैं लाल । 5 खिले कमल ...
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6 comments:

  1. नवरात्रों की हार्दिक मंगलकामनाओं के आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल बुधवार (25-03-2015) को "ज्ञान हारा प्रेम से " (चर्चा - 1928) पर भी होगी!
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    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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