डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा
१
जब-जब पास हमारे आए
रंग ख़ुशी के मुख पर लाए
जी भर छेड़े ,करे
ठिठोली
क्या सखि साजन ?
ना
सखि होली ।
२
करता मस्ती नहीं अघाए
भक्ति की कभी भाँग चढ़ाए
फिरे बहकता करता गुनगुन
क्या सखि साजन ?
ना सखि फागुन ।
३
खूब मिले होली के मेले
जब ग़ैरों के हाथों खेले
छेड़ ,भिगोए
चोली सारी
क्या सखि साजन ?
ना
पिचकारी ।
४
हृदय में धारे रस की धार
करें वो सब पर धम से वार
बचते फिरते उनसे सारे
क्या सखि साजन ?
ना ग़ुब्बारे ।
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चित्र गूगल से साभार
वाह ... क्या खूब लिखा है ... होली की फुलझड़ी छोड़ दी ...
ReplyDeletehaardik dhanyawaad aadaraneey !
Deleteरंगों के महापर्व होली की
ReplyDeleteहार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शुक्रवार (06-03-2015) को "होली है भइ होली है" { चर्चा अंक-1909 } पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
haardik dhanyawaad aadaraneey !
Deleteवाह! वाह! बहुत ख़ूब !
ReplyDeleteआपको सपरिवार होली की रंगभरी शुभकामनाएँ ! :-)
~सस्नेह
अनिता ललित
haardik dhanyawaad sakhi !
Deleteसटीक सामयिक प्रस्तुति
ReplyDeletehaardik dhanyawaad aadaraneey !
DeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteबहुत सुंदर और रंग बिखेरती मुकरियाँ...मंगलकामनाएँ!!
ReplyDeleteहृदय से आभार हिमकर श्याम जी !
ReplyDeleteअरे वाह ... बहुत ख़ूब मजा आ गया
ReplyDeleteपर बहुत देर से पंहुचा हूँ
आज कई दिनों ब्लॉग पोस्ट करने का मौका मिला
आपका स्वागत है ब्लॉग पर
Recent Post शब्दों की मुस्कराहट पर मुसीबत के सिवा कुछ भी नहीं : )
बहुत - बहुत धन्यवाद संजय जी :)
Deleteदेरी के लिए क्षमा चाहूँगा । कहन मुकरनियों का जवाब नहीं ! अमीर खुसरो की याद दिला दी आपने ।
ReplyDeleteहार्दिक बधाई
आपके स्नेह और आशीर्वाद की सदा चाहना है !
Deleteसादर
ज्योत्स्ना शर्मा
आप ऐसे ही नित नव सृजन करती रहें, बहुत सुंदर
ReplyDeleteहृदय से आभार सखी 🌹🙏
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