डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा
1
उमड़े, फिर बरस गए
ये नैना कान्हा
दर्शन को तरस गए ।
2
दर्पण से धूल हटा
झलक उठे मन में
मोहन की मधुर छटा ।
3
दिल खूब चुराता है
लाल यशोदा का
फिर भी क्यों भाता है ।
4
दाऊ के भैया ने
सबको त्राण दिया
उस नाग-नथैया ने ।
5
जादूगर कैसे हो
जो जिस भाव भजे
उसको तुम वैसे हो ।
6
इक राह दिखाई है
मीत सुदामा के
क्या रीत निभाई है।
7
मन उजला तन काला
मोह गया मोहन
मन, बाँसुरिया वाला ।
8
मुख अमरित का प्याला
कितनी छेड़ करे
यह नटखट, गोपाला !
9
भोली -सी सूरत पे
रीझ गई रसिया
मैं प्यारी मूरत पे ।
10
भक्तों को मान दिया ।
मोह पड़े अर्जुन
गीता का ज्ञान दिया ।
~~~~~~*****~~~~~~
(चित्र गूगल से साभार )
दर्पण से धूल हटा
ReplyDeleteझलक उठे मन में
मोहन की मधुर छटा । श्री कृष्ण जन्माष्टमी के पावन पर्व पर आप सभी को हार्दिक शुभ कामनाएँ !!
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 25 - 08 - 2016 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2445 {आंतकवाद कट्टरता का मुरब्बा है } में दिया जाएगा |
ReplyDeleteधन्यवाद
hruday se dhanyawaad aadraniiy !
Deleteshree krishna janmaashtamii ke pavan parv par haardik shubh kaamanaayen !
वाह! कान्हा के रंग रंगे ... मनमोहक माहिया ~ बहुत सुंदर !
ReplyDeleteश्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ!!!
~सादर
अनिता ललित
बहुत-बहुत आभार सखी !
Deleteआपको भी हार्दिक शुभ कामनाएँ !
जादूगर कैसे हो
ReplyDeleteजो जिस भाव भजे
उसको तुम वैसे हो ।
..बहुत सुन्दर
..जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं!
हृदय से धन्यवाद आपका !
Deleteहार्दिक शुभ कामनाएँ !!
उम्दा लिखा है |
ReplyDeleteहृदय से धन्यवाद आपका !
Deleteहार्दिक शुभ कामनाएँ !!
बहुत सुन्दर .. भावपूर्ण है हर छंद ... कृष्ण प्रेम का आलोकिक भाव लिए ...
ReplyDeleteहृदय से धन्यवाद आपका !
ReplyDeleteहार्दिक शुभ कामनाएँ !!