डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा
1
1
दिन ने
खोले नयन जब ,बड़ा
विकट था हाल ,
पवन,पुष्प ,तरु ,ताल ,भू ,सबके सब बेहाल।
पवन,पुष्प ,तरु ,ताल ,भू ,सबके सब बेहाल।
सबके सब बेहाल ,कुपित कुछ लगते ज़्यादा ,
ले आँखों अंगार , खड़े थे सूरज दादा।
घोल रहा विष कौन .गरज कर तब वह बोले ,
लज्जित मन हैं मौन , नयन जब दिन ने खोले।।१
2
गर्मी के तेवर बढ़े ,और बिजुरिया गोल ,
शरबत , लस्सी ,छाछ पर , चल अब हल्ला बोल।
चल अब हल्ला बोल , आम सा फल नहीं दूजा ,
भाया है तरबूज , और मीठा खरबूजा।
नींबू , पना , सलाद , भरे तबियत में नर्मी ,
वश में हों हालात , शांत हो थोड़ी गर्मी ।।२
-0-
(चित्र गूगल से साभार )
~~~~~~******~~~~~~
बहुत सुंदर !
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद आपका !
ReplyDeleteमौसम के अनुकूल कुण्डलिया, सूरज के तेवर दिन ब दिन तीखे हो रहे हैं
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आयें, आपका स्वागत हैं...
hruday se aabhaar aapakaa !
Deleteअनोखे अंदाज में कुण्डलियाँ ।
Delete