डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा
1
पुरवा में पन्ने उड़े , पलटी याद किताब
।
कितना मन महका गया , सूखा एक गुलाब
।। ..
दर्द,महफिलें याद कीं , खुशियों के अरमान ।
मुट्ठी भर औकात है , पर कितना सामान ।।
3
सहने को सह जाएँगे , पत्थर बार हज़ार
।
4
माथे का चन्दन हुई , उसके पग की धूल ।
मनुज मनुजता हित बढ़ा , केवल निज सुख भूल ।।
बीती बातें भूल कर , चलो मिला लें हाथ ।
जीवन भर क्या कीजिए ,नफ़रत लेकर साथ ।।
रिश्ते कल पूछा किए ,हमसे एक सवाल ।
खुद ही सोचो बैठ कर , क्यों है ऐसा हाल ।।
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(चित्र गूगल से साभार )
शब्द और भाव का सुंदर संगम
ReplyDeletehruday se aabhaar aadaraneey !
Deleteबहुत खूब। बेहद शानदार रचना।
ReplyDeletehruday se aabhaar aadaraneey !
Deleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (16-06-2015) को "घर में पहचान, महानों में महान" {चर्चा अंक-2008} पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
charcha manch par sthaan dene ke liye bahut aabhaar aadaraneey !
Deleteदर्द,महफिलें याद कीं , खुशियों के अरमान ।
ReplyDeleteमुट्ठी भर औकात है , पर कितना सामान ।।
...वाह..बिलकुल सच...बहुत सुन्दर और सार्थक दोहे...
hruday se aabhaar aadaraneey !
Deleteबहुत सुंदर ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर ।
ReplyDeletehruday se dhanyawaad aapakaa !
Deleteअच्छे भाव लिए सुन्दर शब्द ...
ReplyDeletehruday se dhanyawaad aapakaa !
ReplyDeleteवाह आनंद आ गया सुन्दर दोहे हैं ज्योत्सना जी, आपकी कलम का जबाब नहीं , बधाई प्रिय सखी
ReplyDeletedil se shukriyaa sakhi .. apaki upasthiti mera utsaah badhaatii hai .. :)
Deleteबहुत खूब
ReplyDeletehruday se aabhaar aapakaa !
Deleteरिश्ते कल पूछा किए ,हमसे एक सवाल ।
ReplyDeleteखुद ही सोचो बैठ कर , क्यों है ऐसा हाल ।
अच्छे भाव सुन्दर शब्दों से पगी प्रस्तुती
hruday se aabhaar aapakaa !
Deleteबहुत सुंदर भावों की प्रस्तुति।
ReplyDeletehruday se aabhaar anita ji !
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