123 - सुनो तो ज़रा !
डॉ.
ज्योत्स्ना शर्मा
सुनो तो
ज़रा
दिल ही तो
सुनता
दिल का कहा
।
हैं अनमोल
ज़ख़्मों
को भर देते
दो मीठे
बोल ।
उधड़ी मिली
रिश्तों की
तुरपन
गई न सिली
।
फाँस थी
चुभी
मुट्ठी में
अंगुलियाँ
बँधी न कभी
।
अरी तन्हाई
!
शुक्रिया
संग मेरे
तू चली आई ।
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वाह ... दिल को छूते हुए सभी हाइकू ... लाजवाब हैं ...
ReplyDeleteHruday se aabhar aadarniy 🙏
ReplyDeleteउम्दा हाइकु ज्योत्स्ना जी।
ReplyDeleteसुनो तो ज़रा
ReplyDeleteदिल ही तो सुनता
दिल का कहा ।
उत्कृष्ट सृजन के लिए हार्दिक बधाई |
हृदय से आभार सखी !
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