बन्दर बैठा खोल दुकान
लाया सब बढ़िया सामान
कपड़े-लत्ते , पुस्तक, बरतन
टॉफ़ी ,
केक , मिठाई
देख-देख बिल्लू बिल्ले की
तबियत कुछ ललचाई
कैसे मुझको मिले मिठाई
सोचे
खूब लगाकर ध्यान
बन्दर बैठा खोल दुकान
बोला बिल्ला ज़रा मिठाई
चखकर देखूँ भैया
बन्दर बोला चखने का भी
होगा एक रुपैया
पास नहीं धेला बिल्लू के
टूट गए सारे अरमान
बन्दर बैठा खोल दुकान
भरी उदासी मन में ,बिल्लू
लौटा मुँह लटकाकर
बन्दर ने दी बालूशाही
तरस ज़रा सा खाकर
बोला बिल्लू -भाईजान !
कल लाऊँगा मीठा पान !
तेरी बढ़िया बहुत दुकान !
डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा
(चित्र गूगल से साभार)
सभी बच्चों को ढेर शुभकामनाएं !
ReplyDeleteसभी बालकों को शुभकामनाएं एवं आशीष तथा आपका हार्दिक आभार जो आपने इस अवसर पर ऐसी रोचक बाल कविता रची।
ReplyDeleteहृदय से आभारी हूँ 🙏
Deleteबहुत सुंदर, मनभावन बालगीत सखी🌷🌷🌷🌷👌👌👌🙏🙏🙏
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद प्रिय सखी 🙏
Delete