(चित्र गूगल से साभार)
1
मेरी मानो हो तो ऐसा कर देना
उसके सारे घावों को तुम भर देना ।
आकर जिसमें चैन मिले , सुख पाए मन
हर बन्दे को ,अपना ऐसा घर देना ।
पंख कटे थे कैद रहे सपने जिसके
साथ-साथ अम्बर के उसको पर देना ।
मामूली बातों पर झगड़ा ,खूँ रेज़ी
थोड़ा सा तो नरम-नरम तेवर देना ।
वो मेरी बातों में उलझें, रुक जाएँ
मुझको भी कुछ ऐसा मीठा स्वर देना ।
2
खुश हैं शोर मचाने वाले ,क्या कहिए !
चुप हैं राह दिखाने वाले , क्या कहिए !
दीख रहे हैं ,अचरज ! नेत्रविहीनों को,
सूरज की आँखों पर जाले , क्या कहिए !
खूब कसीदे पढ़ते रात घनेरी के ,
हाथ धूप के लगते काले ,क्या कहिए !
हमने सोचा था कुछ होंगे महफिल में
बेसुध की सुध लेने वाले, क्या कहिए !
बातें करते रहते हैं गंगाजल की
पथ चुनते मदिरालय वाले , क्या कहिए !
उनको डर जब पर्त उधेड़ी जाएगी
निकलेंगे कितने घोटाले , क्या कहिए !
करनी है सो भरनी होगी तय है मन ,
चाहे कितनी जुगत भिड़ा ले, क्या कहिए !
फेंक रहा था जाल मछेरा , मत जाते
तड़प रहे अब कौन निकाले, क्या कहिए !
नफरत मत दो , प्रेम भरो , सच्चाई दो
बच्चों के मन भोले- भाले , क्या कहिए !
डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा