Wednesday 27 May 2015

जय माँ गंगे !


डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा


गौमुख से गंगा चली , बह सागर की ओर ,

देख रही माँ भारती ,होकर भाव –विभोर |

होकर भाव- विभोर  , हुई हर्षित  भू पावन , 

नित-नित संध्या भोर , सुहावन तट मन-भावन |

जिसका केवल ध्यान  ,भरे जीवन को सुख से ,

कर तन-मन अम्लान , चली गंगा गौमुख से ||
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चित्र गूगल से साभार