Saturday 24 May 2014

पाँच रंग !





                                                           चित्र गूगल से साभार


डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा 
1
लेखनी उद्बोध लिखना और फिर शृंगार भी ,
भक्ति , ममता ,हास भी  हो दर्द का संसार भी ।
तुम उठो ,उठ कर चलो,जब भी समय की माँग पर ;
दोस्ती की जीत लिखना, दुश्मनी की हार भी ।।
2
दोस्ती ,दिल को कुदरत का ईनाम है ,.
एक इनायत ,खुशी से भरा जाम है ।
हम इसे दुश्मनी में बदलने ना दें :
ज़िंदगी में बड़ा ये भी इक काम है ।।
3
जीर्ण चदरिया मन की मीठे बोलों से सिल जानी है 
दृढ़ संकल्पों से विघ्नों की,कठिन शिला हिल जानी है
मरकर भी सुधियों में रह मन,ऐसा काम अमर कर जा
मिट्टी की काया है इक दिन, मिट्टी में मिल जानी है ।।
4
नेकी मन से ना बिसराना ,सबसे बड़ी इबादत है ,
दीन,दुखी पर दया दिखाना,सबसे बड़ी इबादत है ।
जन्म दिया है जिसने हमको,धन-धान्य से बड़ा किया ;
उनकी खातिर जान लुटाना, सबसे बड़ी इबादत है ।।
5
काम,क्रोध जब हृदय बसे तो खुशियों का संसार गया ,
कुटिल द्वेष का सर्प विषैला जीते जी बस मार गया ।
जान लिया है लोभ,मोह की वैतरणी है यह जीवन ;
दया,धर्म का लिये सहारा ,जो डूबा वो पार गया ।।

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Tuesday 13 May 2014

बिखरा दूँ कलियाँ

1-डॉ ज्योत्स्ना शर्मा
1
दिल तो चाहे-
बिखरा दूँ कलियाँ
राहों में तेरी
2
चुन लूँ काँटे
पथ से मैं तुम्हारे
खिलें बहारें
3
आशा की धूप
खुशियों की चाँदनी
भर दे रूप
4
तेरी मुस्कान-
निशा मेरे मन की
पाए विहान
5
साथी मेरे
नयन -अश्रु तेरे
हो दर्द मेरे
6
मन पुकारे
दु: ,सन्ताप  हारें
सजें सितारे
7
क्यों हो बेरंग
एक ही तो सबके
लहू का रंग

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Friday 2 May 2014

कजरारी अँखियाँ करें ......



डॉ.ज्योत्स्ना शर्मा

(बस चित्र के भाव पर .....एक प्रस्तुति ......)

कजरारी अँखियाँ करें ,आज वार पर वार।
हमसे जीतोगे पिया ,पाओगे तुम हार।।

चमकी चित में चाँदनी ,दम-दम दमके रूप ,
पाई जब से देह ने ,तेरे नेह की धूप।

यूँ तो तुमसे मिल हुईं ,सब आशा साकार ;
हमसे जीतोगे पिया ,पाओगे तुम हार।।

दुनिया ने सपने बुने ,हमने बुन ली प्रीत ,
ड्योढ़ी लँघी न लाज की , छोड़ न पाई रीत।

दुख देकर चाहा नहीं ,सुखों भरा संसार ;
हमसे जीतोगे पिया ,पाओगे तुम हार।।

अब किससे शिकवा करें ,कहाँ करें फरियाद ,
कौन पहर आई नहीं ,हमें तुम्हारी याद।

पलक मूँद,मन , कैद कर! हुकुम करे सरकार ;
हमसे जीतोगे पिया ,पाओगे तुम हार।।
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Thursday 1 May 2014

नमन !!!

डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा 

रचता सकल समाज को ,सारे सुख आराम |
उस कर्मठ कर को करूँ ,सादर नमन , प्रणाम ||

शठ से तो शठता भली ,भले-भलाई आज |
तेरे-मेरे मन जिएँ , सदा वीर शिवराज ||

योगी हों श्री कृष्ण से ,मर्यादा में राम |
दुष्टों के प्रतिकार को ,नमन हे परशुराम !!

'मजदूर दिवस' ,'शिवाजी जयंती ' और 'परशुराम जयंती ' के अवसर पर ..
उनके लिए सादर नमन-वंदन ..और ....

आपके लिए बहुत शुभ कामनाओं के साथ ..

ज्योत्स्ना शर्मा