Thursday 13 November 2014

तुम किरण !


डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा 

               
                         

कितनी प्यारी !

घूम-घूम झालर 
फ्रॉक हमारी ।



पूँछ उठाए

यूँ मुँह धोए जाए

ये प्यारी गिल्लू ।


तीखी , ततैया 

मिर्च हरी भाए है 

हो मीठे भैया !





मछली रानी 

डूब, डूब देख आ 

कित्ता है पानी ?


अम्मा हमारी

कहें मुझको राजा

दें काम भारी |


यही है स्वप्न -

भास्कर हो भारत

तुम किरण । 
-0-
बाल दिवस पर हार्दिक शुभ कामनाएँ !!!!

(चित्र गूगल से साभार )

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Sunday 9 November 2014

बच्ची ही हूँ !


डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा 

निगाहों में या तो बसाया न होता,

बसाकर नज़र से गिराया न होता ।१

बुलन्दी पे था इस चमन का सितारा

अगर खुद ही हमने झुकाया न होता ।२

क़दमों तले रौंदकर रख चले थे

जो हाथों में परचम उठाया न होता ।

बच्ची ही हूँ , तेरे आँचल के साए,

क्या होती , जो ऐसा बनाया न होता |

दिवारें भी तंग हैं ,कि घर हो ,वतन हो,


खुदा ,इनको सर पे चढ़ाया न होता ।४


भला आग दिल की लगी कैसे बुझती

,
जो आँखों में दरिया समाया न होता । ५


चित्र गूगल से साभार 

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Wednesday 5 November 2014

कहाँ जाते हम रूठ कर



डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा 
1
उम्मीदों को दिल में जगाया तो होता,
ख़ुदी को कभी आज़माया तो होता । 1
छुटकी बहन सी ठुनकती हैं ग़ज़लें ,
बड़े भाई -सा सर पे साया तो होता ।2
मुहब्बत नहीं सिर्फ़ लैला के क़िस्से ,
कोई पाक रिश्ता बनाया तो होता ।3
सभी मुश्किलों का वो हल देगा ,तुमने,
इबादत में सर को झुकाया तो होता ।4
कहाँ जाते हम रूठ कर ,लौट आते ,
ज़रा सा भी तुमने मनाया तो होता ।5
कहे जाते हैं ,जो भी कहना था हम ,फिर,
न कहना सुना और सुनाया तो होता ।6
-0-

भरे उजास !


डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा 

तेरे प्यार ने
नहीं बुझने दिया
जीवन दिया |

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भीगी बाती स्नेह से , जलकर भरे उजास ,
महका सा जीवन हुआ , बिखरे प्रेम-सुवास |
बिखरे प्रेम सुवास ,खिले मन-आँगन कलियाँ ,
मधुर बजे संगीत ,बोल मिसरी की डलियाँ |
सुख बरसे चहुँओर ,मुदित-मन मंगल गाती ,
काटे कलुष कठोर , स्नेह से भीगी बाती ||


स्नेह से भरे ,आशा के दीप सदा झिलमिलाएं ...देव दिवाली की हार्दिक शुभ कामनाएँ !

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चित्र गूगल से साभार