Tuesday 7 October 2014

कविता हमारी !!



डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा 

दुआ रोज़ करती है कविता हमारी ,
किसी से न डरती है कविता हमारी |1

बिखेरे यहाँ खूब खुशबू के किस्से ,
फूलों सी झरती है कविता हमारी |2

तेरी सादगी और सच्चाई हमदम ,
इन्हीं पे तो मरती है कविता हमारी |3

किसी आँख हो आँसुओं की कहानी ,
तो आहें भी भरती है कविता हमारी |4

कि, जिनके भरोसे चली थी सफ़र पर ,
उन्हीं को अखरती है कविता हमारी |5

अभावों पली पर चली नेक रस्ते ,
सरस भाव धरती है कविता हमारी |6


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Friday 3 October 2014

रामा दल में धूम है !


डॉ.ज्योत्स्ना शर्मा 

बनवासी श्री राम ने ,किया दुष्ट संहार |
सब साधन संपन्न हम ,मिटे न भ्रष्टाचार |
मिटे न भ्रष्टाचार , भूल हम जान न पाए ,
पाया तो जनतंत्र , मंत्र सम्मान न पाए |
जले हृदय का दीप , अमावसपूरनमासी ,
कुत्सित कर्म ,कुरीत, करें सबको बनवासी ||

रामा दल में धूम है ,प्रमुदित सकल समाज ,
प्रभु कारज जीवन-मरण ,यही याचना आज |
यही याचना आज , भाव शुभ मन में जागें ,
लोभ ,कुटिलता, काम ,निशाचर सारे भागें |
राम नाम के कँवल,खिलें मन-निर्मल जल में ,
कभी न व्यापे मोह ,रहूँ बस रामा दल में ||

शक्ति और शान्ति के शाश्वत स्वर को मुखर करता विजया दशमी पर्व सब ओर सत्य और धर्म की स्थापना करे ...बहुत शुभ कामनाएँ !!

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(चित्र गूगल से साभार )