Saturday 15 March 2014

हो फिर मुखरित प्यार !!

                               चित्र गूगल से साभार 
डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा 


होली में अब होम दें , कलुषित भाव विकार |
मन से मन सबके मिलें , हो फिर मुखरित प्यार ||१


कुछ भूलों को भूल कर , चलो मिला लें हाथ |
जीवन भर क्या कीजिए , नफ़रत लेकर साथ ||२

लो सतरंगी हो गया , मन भी तन के साथ |
कैसे जादूगर पिया , रंग लियो नहि हाथ ||


बौराई रुत फाग सी , मैं भूली सब रीत |
ज्यों-ज्यों सिमटी आप में ,त्यों-त्यों छलकी प्रीत ||


गुँझिया से मीठे लगें ,गोरी तेरे बोल |
गारी पिचकारी हुई , रंग माधुरी घोल ||


कहाँ सुहाए चंद्रिका , मन तो हुआ चकोर |
राधे सबसे पूछतीं , कित मेरा चित चोर ||


कान्हा कैसी बावरी , मूढ़ मति भई आज |
नैना चाहें देख लें ,डरूँ न छलके राज ||


कितना छुपकर आइये ,गोप-गोपिका संग |
राधे से छुपते नहीं , कान्हा तोरे रंग ||

होली की हार्दिक शुभ कामनाओं के साथ ......

ज्योत्स्ना शर्मा 

Friday 7 March 2014

एक हाथ में चाँदनी !!!

                                      चित्र गूगल से साभार 


इस बेमकसद शोर में,कलम रही जो मौन |
तेरे-मेरे दर्द को ,  और कहेगा कौन ||१ 


शब्दों में आराधना , अर्थ मिला बाज़ार |
अकथ कथा है पीर की , घर में भी लाचार ||

जीवन की संजीवनी , आप करे संघर्ष |
देख दशा ,तेरी दिशा , शोक करें या हर्ष ||


तितली , चिड़िया , मोरनी ,तुलसी नहीं ,न दूब
एक जहाँ इनसे अलग ,रचा आपने खूब ||

आज अँधेरों को चलो , दिखला दें यह रूप |
एक हाथ में चाँदनी  ,एक हाथ में धूप ||


लिखना है तुझको यहाँ ,खुद ही अपना भाग |
सरस सृजन की जोत तू , कलुष-दहन की आग ||

न्याय और अन्याय को , रच ऐसा संसार |
इत बरसे रस की सुधा , उत बरसे अंगार ||

महिला दिवस पर ...
हार्दिक शुभ कामनाओं के साथ ....
डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा
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Sunday 2 March 2014

मोहन मेरे !!!

                                   चित्र गूगल से साभार 

डॉ.ज्योत्स्ना शर्मा 

१ 
मीरा नहीं हूँ मैं राधा नहीं हूँ ,
बस एक ज़र्रे से ज़्यादा नहीं हूँ |

या तुम हो मेरे या मैं तुम्हारी ,
मोहन मेरे भाव आधा नहीं हूँ |

दिन-रैन जिसने घुमाया है मुझको
कैसे कहूँ उसका प्यादा नहीं हूँ |

जिसको ज़रा बेरुखी तोड़ देगी ,
ऐसा मैं कोई इरादा नहीं हूँ |

मंज़िल को मुझसे बहुत उन्सियत है ,
ख़ुद से ख़ुदी का मैं वादा नहीं हूँ |



हमने ख़्वाब सुहाने देखे ,
अपने या बेगाने देखे |

गीतों की महफ़िल थी लेकिन ,
फैले बस वीराने देखे |

कतरे-कतरे में सागर था ,
सागर में पैमाने देखे |

हैरत है पर सच्चाई पर ,
कुछ लुटते दीवाने देखे |

रौशन एक शमां खुद्दारी ,
जल मरते परवाने देखे |

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