Thursday 27 August 2015

राखी का अरमान !




डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा 


जल्दी ले जा डाकिए,ये राखी के तार |
गूँथ दिया मैंने अभी,इन धागों में प्यार ||१

बड़ी सजीली राखियाँ बेचे नेट हज़ार |
रची रात भर जागकर ,है दिल से उपहार ||२

अक्षत आशा के रखे ,रोली दुआ अपार |
नयनों से टप-टप गिरे ,आँसू भी दो-चार ||३

समझाया मैंने बहुत,सुने न मेरी बात |
भर-भर आए मन मेरा,क्या भेजूँ सौग़ात ||४ 

हर राखी का हो गया ,अब तो ये दस्तूर |
चाहूँ पर क्या आ सकूँ ,हूँ कितनी मजबूर ||५ 

भाभी से कहियो ज़रा ,करें कभी तो याद |
वरना उनके मायके ,भेजूँगी फ़रियाद ||६ 

माँ-बाबू जी साथ में ,वो प्यारी सी डॉल |
मन चाहे खेलूँ ज़रा ,संग भतीजे बॉल ||७

झूमर ,कंगन,टेकुलीनहीं किसी की चाह |
बस भैया चिन्ता बहुत ,घर की है परवाह ||८ 

ख़ुशियों से हो आपकी ,हरदम ही पहचान |
कभी-कभी करना मगर ,मेरा भी कुछ ध्यान ||९ 

लक्ष्मी घर छम-छम फिरे,खेलें गोद गणेश | 
यही प्रार्थना ईश से,हरें सभी दुख,क्लेश ||१०

वक़्त हुआ ,फिर आपसे,करूँ फ़ोन पर बात |
ध्यान रखें ख़ुद ,है पता ,दिन बीते कब रात ?११

छाया औ' फल-फूल दें ,सबके हित देह-दान |
वृक्ष-वीर को बाँधना ,राखी का सम्मान ||१२ 

सीमा पर डटकर खड़े ,बनकर जो चट्टान |
बँधना उनके हाथ पर ,राखी का अरमान ||१३

दिनकर से दमकें दिवस ,सुखद चाँदनी रात|
भैया मिश्री घोलकर ,लिख भेजी दो बात ||१४


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(चित्र गूगल से साभार )

Friday 14 August 2015

त्योहार बहारों का !

                स्वाधीनता दिवस की आप सभी को हार्दिक शुभ कामनाएँ !

डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा 



१ 
जब गूँजें टंकारें
सुख,सौहार्द रचें 
वीरों की हुंकारें |

२ 
त्योहार बहारों का
है क्या काम यहाँ
कुटिलों ,गद्दारों का |

३ 
भर खूब उमंगों में
आज तिरंगे के
डूबा मन रंगों में |

४ 
भूलें तो भूल चलें 
जो जाल बुने उनको
करके निर्मूल चलें |

५ 
हाँ ,ख्वाब सुहाने हैं
हक़ पाए अपने
अब फ़र्ज़ निभाने हैं |

 ६ 
है कठिन भुला पाना
बासंती सरगम
वो केसरिया बाना |

७ 
यूँ खेल रहा होली
सरहद पर वीरा
सुन झेल रहा गोली |


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(चित्र गूगल से साभार)