नया गीत
डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा
नए साल में अब,
नया गीत गाना,
अरे बागवाँ इस
चमन को सजाना ।
नव वल्लरी,रुत
नई हों छटाएँ,
नया गीत गाना,
अरे बागवाँ इस
चमन को सजाना ।
नव वल्लरी,रुत
नई हों छटाएँ,
तरु
-वृन्द झूमें
सरस हों घटाएँ
कलियाँ हँसें
फूल गाएँ तराना ।।
मुदित हो धरा
निर्मल गगन हो
सुखद स्वप्न सारे
सँजोए मगन हों
खुशियों के शतदल
सरस हों घटाएँ
कलियाँ हँसें
फूल गाएँ तराना ।।
मुदित हो धरा
निर्मल गगन हो
सुखद स्वप्न सारे
सँजोए मगन हों
खुशियों के शतदल
मन-सरसि
खिलाना ।।
प्रखर रश्मियाँ हों
सुनहरी दिशाएँ
सुवासित पवन
प्रीत के गीत गाएँ
समय तू सदा अब
यहाँ मुस्कुराना ।।
अरे बागवाँ इस
चमन को सजाना ।।
-0-
बहुत खूबसूरत गीत, भावानुभूति की उर्वरता लिये हुए !
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार ..इस स्नेहाशीष के लिए .
Deleteसादर
ज्योत्स्ना