Friday, 25 January 2013

नया गीत :नया साल


नया गीत  
डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा

नए साल में अब,
नया गीत गाना,
अरे बागवाँ इस
चमन को सजाना ।

नव वल्लरी,रुत 
नई हों छटाएँ,
तरु -वृन्द झूमें 
सरस हों घटाएँ
कलियाँ हँसें 
फूल गाएँ तराना ।।

मुदित हो धरा 
निर्मल गगन हो 
सुखद स्वप्न सारे 
सँजोए मगन हों 
खुशियों के शतदल
मन-सरसि खिलाना ।।

प्रखर रश्मियाँ हों 
सुनहरी दिशाएँ 
सुवासित पवन 
प्रीत के गीत गाएँ 
समय तू सदा अब 
यहाँ मुस्कुराना ।।

अरे बागवाँ इस
चमन को सजाना ।।
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2 comments:

  1. बहुत खूबसूरत गीत, भावानुभूति की उर्वरता लिये हुए !

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    1. बहुत बहुत आभार ..इस स्नेहाशीष के लिए .
      सादर
      ज्योत्स्ना

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