Saturday 13 May 2017

माँ के चरणों में ......



डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा 


करती हूँ नित वंदन 
तेरे चरणों की 
रज है मुझको चन्दन ।1

लेती आराम नहीं 
माँ तुझसा प्यारा
दूजा कोई नाम नहीं । 2

ख़ुशियों का नीर बहे 
जन्म दिया जिस पल 
माँ कितनी पीर सहे ।3

दीपक बन जाती है 
जीवन के पथ पर 
चलना सिखलाती है ।4

आँचल की झोली में 
अक्षर ज्ञान मिला 
माँ तेरी बोली में । 5

सुख से कब सोती है 
बच्चों के दुख पर 
सौ आँसू रोती है ।6 

चंदा था रोटी में 
माँ कितने क़िस्से 
गूँथे हैं चोटी में ।7 

जी भरकर प्यार दिया 
सुख-आराम सभी 
बच्चों पर वार दिया । 8

जाने कैसे जाने 
दूर बसी मैया 
हर पीड़ा पहचाने  । 9

कुछ जग के ,कुछ अपने 
नन्हीं आँखों को 
माँ ने सौंपे सपने ।10

रेशम की डोरी है 
माँ सबसे मीठी 
तेरी इक लोरी है । 11

दुनिया ने ठुकराया 
सारी पीर हरे 
तेरी शीतल छाया । 12

भर देता ज़ख़्म हरा 
माँ तेरा आँचल 
हल्दी की गंध भरा । 13

खाती है झिड़की भी 
सारे रिश्तों की
होती माँ खिड़की भी । 14

व्यसनों से मोड़ रही 
टूटे रिश्तों का 
माँ ही इक जोड़ रही । 15

ना पहना ,ना खाया 
सबकी मुश्किल में 
तेरा धन सुख लाया । 16

क्या ख़ूब पहेली है 
बेटे ,बिटिया की 
माँ आज सहेली है । 17

कितना बतियाती माँ 
बातों की गुल्लक 
कुछ राज़ छुपाती माँ । 18

दिन ऐसा भी आया 
संतानों ने ही
उस माँ को तरसाया ।19 

ममता का मोल नहीं 
माँ-बाबा ख़ातिर 
दो मीठे बोल नहीं । 20

कैसे जाएँ भूले 
यादों में झूलूँ 
मैं बाहों के झूले ।21

लौटे घर शाम हुए 
माँ के चरणों में 
फिर चारों धाम हुए। 22

- डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा 

'अचिन्त साहित्य'  के मातृदिवस विशेषांक -3 (डॉ. पूर्णिमा राय ) में प्रकाशित रचना 

link -

http://www.achintsahitya.com/?p=823

(चित्र गूगल से साभार )
    



19 comments:

  1. करती हूँ नित वंदन
    तेरे चरणों की
    रज है मुझको चन्दन ।1

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (14-05-2017) को
    "लजाती भोर" (चर्चा अंक-2631)
    पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक

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    1. इस स्नेह और सम्मान के लिए हृदय से आभार आदरणीय 💐🙏💐

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  3. भावुक कर गई आपकी कविता, ज्योत्सनाजी । विशेष रूप से ये पंक्तियाँ ....

    भर देता ज़ख़्म हरा
    माँ तेरा आँचल
    हल्दी की गंध भरा ।

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    1. मेरे भावों से जुड़ने के लिए हृदय से आभार मीना जी !

      सादर
      ज्योत्स्ना शर्मा

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  4. भावपूर्ण ममता की खुशबू से महकते सुंदर माहिया ज्योत्स्ना जी

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  5. hruday se aabhaar suniita ji

    sadar
    jyotsna

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  6. बहुत सुंदर कविता दी

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  7. ममता का मोल नहीं
    माँ-बाबा ख़ातिर
    दो मीठे बोल नहीं .....

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  8. माँ की ममता और दुलार उसका प्यार हर छंद में झलक रहा है ...
    बहुत ही सुन्दर रचना संसार है ये ...

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  9. अत्यंत भावपूर्ण अभिव्यक्ति .. बधाई

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  10. क्या ख़ूब पहेली है
    बेटे ,बिटिया की
    माँ आज सहेली है । 17

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  11. कितना बतियाती माँ
    बातों की गुल्लक
    कुछ राज़ छुपाती माँ । 18

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  12. भावुक कर गई आपकी कविता, ज्योत्सनाजी ।

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  13. हृदय से आभार संजय जी !

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  14. रेशम की डोरी है
    माँ सबसे मीठी
    तेरी इक लोरी है ....मातृदिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ !

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