Tuesday 9 January 2018

123 - सुनो तो ज़रा !

डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा  

सुनो तो ज़रा 
दिल ही तो सुनता 
दिल का कहा ।

हैं अनमोल 
ज़ख़्मों को भर देते 
दो मीठे बोल ।

उधड़ी मिली
रिश्तों की तुरपन
गई न सिली । 

फाँस थी चुभी 
मुट्ठी में अंगुलियाँ 
बँधी न कभी । 

अरी तन्हाई !
शुक्रिया संग मेरे 
तू चली आई ।      



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5 comments:

  1. वाह ... दिल को छूते हुए सभी हाइकू ... लाजवाब हैं ...

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  2. उम्दा हाइकु ज्योत्स्ना जी।

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  3. सुनो तो ज़रा
    दिल ही तो सुनता
    दिल का कहा ।
    उत्कृष्ट सृजन के लिए हार्दिक बधाई |

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