Wednesday 2 May 2018

131 - आँगन का नीम



-डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा 



पक्के से प्यार की
डाल गया बीम ,
झूम-झूम गायेगा
आँगन का नीम |

कच्ची निम्बोली
और सावन के गीत
साँसों में जाग गई 
नैहर की प्रीत
रीत ,रीत जाए न
आशा-असीम |

पिलखन और निमिया की
ठंडी सी छाँव
मन-पाखी ढूँढ़ फिरा
पहले सा गाँव
कड़वी दवाई दे
मीठा हकीम |

सपना सवेरे का
होगा साकार 
पाऊँगी फिर से मैं
साझा सा प्यार
अम्मा और बाबा
न होंगे तक़सीम|

झूम झूम गायेगा
आँगन का नीम |


**********@@**********


21 comments:


  1. पिलखन और निमिया की
    ठंडी सी छाँव
    मन-पाखी ढूँढ़ फिरा
    पहले सा गाँव
    कड़वी दवाई दे
    मीठा हकीम ....

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  2. बहुत सुन्दर और भावपूर्ण गीत...बधाई

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    1. हार्दिक धन्यवाद आदरणीय !

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  3. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (04-05-2018) को "ये क्या कर दिया" (चर्चा अंक-2960) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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    1. बहुत-बहुत आभार आदरणीय !

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  4. अद्भुत सुंदर गीत...
    यादों की ये मर्म स्पर्शी है.

    स्वागत हैं आपका खैर 

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  5. यह बहुत प्यारा लगा। शब्द संयोजन व भाव दोनों उम्दा। बधाई जी

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  6. चंद लफ्ज़ों की पूरी बानगी ...

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    1. बहुत शुक्रिया आपका !

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  7. उत्कृष्ट रचना हेतु बधाई स्वीकारें आदरणीया।

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    1. हार्दिक धन्यवाद आपका !

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  8. बहुत ही सुंदर सृजन
    हार्दिक बधाई

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    1. हृदय से आभार सत्या शर्मा जी !

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  9. बहुत उम्दा गीत ज्योत्स्ना जी ...हार्दिक बधाई ।🌷🌷🌷🌷🌷🌷

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद सुनीता जी

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  10. बहुत सुन्दर मनभावन रचना ...
    परिवार बंधा रहे तो नेम झूमेगा ... आँगन महकेगा ...

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    1. प्रेरक प्रतिक्रिया के लिए हृदय से आभार आपका !

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