सभी देशवासियों को स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव पर ढेर सारी शुभकामनाएँ  !
खिलती फुलवारी कहे , सबके दिल का हाल ।
बारिश हो सद्भाव की , देश रहे खुशहाल ।।
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बातें हों मुहब्बत की , बस प्यार की गंगा हो 
हर कर में तिरंगा हो , हर घर पे तिरंगा हो ।।
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जिसके ऐसे बलिदानी सुत उसकी मात नहीं होगी
बिखरी यश की अमर रश्मियाँ तय है रात नहीं होगी 
धरती से अम्बर तक गूँजे गाथाएँ बलिदानों की
बात तुम्हारी ही होगी बस तुमसे बात नहीं होगी !
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तुमको पथ से डिगा सके वो तीर यहाँ निष्काम हुआ 
छल से वार करे छुप-छुप कर वह वैरी बदनाम हुआ 
कोटि-कोटि नतमस्तक ,गूँजे 'अमर रहो' के जयकारे 
जिसमें तुमने जन्म लिया है वह घर तीरथधाम हुआ ।
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गर्व बहुत है तुम पर हमको दिल में पसरा गम भी है
अन्तिम दर्शन को व्याकुल हर नयन यहाँ पर नम भी है 
तुम-सा हो जाने की चाहत जाग रही है हर दिल में 
और तुम्हारी शौर्य कथा का फहराता परचम भी है 
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सिया राम जी की कहानी पे लिखना
कान्हा,कभी राधा रानी पे लिखना 
वतन की हिफाज़त में जो मर मिटी है 
कलम ! गीत ऐसी जवानी पे लिखना ।
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ज्योत्स्ना शर्मा