Tuesday 13 May 2014

बिखरा दूँ कलियाँ

1-डॉ ज्योत्स्ना शर्मा
1
दिल तो चाहे-
बिखरा दूँ कलियाँ
राहों में तेरी
2
चुन लूँ काँटे
पथ से मैं तुम्हारे
खिलें बहारें
3
आशा की धूप
खुशियों की चाँदनी
भर दे रूप
4
तेरी मुस्कान-
निशा मेरे मन की
पाए विहान
5
साथी मेरे
नयन -अश्रु तेरे
हो दर्द मेरे
6
मन पुकारे
दु: ,सन्ताप  हारें
सजें सितारे
7
क्यों हो बेरंग
एक ही तो सबके
लहू का रंग

-0-

8 comments:

  1. सभी बहुत सुंदर हैं :)

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद आपका !

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  2. क्यों हो बेरंग
    एक ही तो सबके
    लहू का रंग ..

    लाजवाब ... सभी हाइकू कमाल के हैं ...

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद आपका !

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  3. वाह! वाह! बहुत सुन्दर, सरस दुआएँ सखी !
    सभी हाइकु एक से बढ़कर एक !
    मन प्रसन्न हो गया। :-)

    सादर

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद आपका !

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  4. सुन्दर, भावपूर्ण हाइकु

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