Friday 25 May 2018

132 - एक अदा तो न्यारी रख !

डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा


1
भलमनसाहत भारी रख
थोड़ी दुनियादारी रख

ख्वाहिश कितनी सारी रख
बस उनमें मेयारी रख !


बोल न दे बेताब नज़र
सच, इतनी हुशियारी रख

कर देगा बर्बाद तुझे
दिल से कमतर यारी रख
कब लेने आ जाएँ वो 
तू अपनी तैयारी रख !

2
एक ग़ज़ल गरमी की ... J

यूँ गर्मी से यारी रख
कूलर की तैयारी रख

बिजली रानी चली गईं
पंखी प्यारी-प्यारी रख

फ्रिज के नखरे घने बढ़े
इक मिट्टी की झारी रख

खट्टी-मीठी सी अमियाँ
थोड़े आम अचारी रख

खरबूज़े ,तरबूज़ चखे
शरबत, लस्सी  जारी रख 

लू का साथी बना पना
छाता, एक सवारी रख

नरम धुले, सूती कपड़े
भरकर तू अलमारी रख

प्यारी-प्यारी बातों की
एक अदा तो न्यारी रख !


-ज्योत्स्ना शर्मा

२५-५-१८
( चित्र गूगल से साभार )

19 comments:

  1. भलमनसाहत भारी रख
    थोड़ी दुनियादारी रख !

    ReplyDelete
  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (27-05-2018) को "बदन जलाता घाम" (चर्चा अंक-2983) (चर्चा अंक-2969) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    ReplyDelete
  3. छोटी बाहर की दोनों गलें लाजवाब ...
    चुटीले शेर अपनी बात को स्पष्ट रख रहे हैं ... धारदार ...
    बधाई ...

    ReplyDelete
  4. बहुत ही प्यारी सी रचनाऐं मन को खुशी देती ।

    ReplyDelete
    Replies
    1. दिल से शुक्रिया आपका :)

      Delete
  5. वाह जी ख़ूब कही

    ReplyDelete
    Replies
    1. दिल से शुक्रिया जी 😊

      Delete
  6. कर देगा बर्बाद तुझे
    दिल से कमतर यारी रख
    वाह दोनों ग़ज़ले रक से बढ़कर एक बहुत आनंद आया पढ़कर.. ऐसे ही अच्छी सच्ची ग़ज़ले लिखते रहिए प्रिय सखी 🙏🙏🌷🌷🌷🌷🌷🌷👏👏👏👏👏👏

    ReplyDelete
    Replies
    1. हृदय से आभार सुनीता जी :)

      Delete
  7. भलमनसाहत भारी रख
    थोड़ी दुनियादारी रख
    -बहुत अच्छा सृजन बहन . सराहनीय अनुकरणीय., लेकिन मैं इस क्षेत्र में असफल हूँ .

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत आभार आपका , सदैव स्नेहाशीष रहे !

      Delete
  8. Replies
    1. हार्दिक धन्यवाद मंजूषा जी

      Delete
  9. Replies
    1. हृदय से आभार संजय जी !

      Delete