खून के बदले आज़ादी देने का जिसका था नारा
मातृभूमि का वीर सिपाही हर इक दिल का है प्यारा
'जय हिन्द' उद्घोष को सुनकर जिसके ,वैरी थर्राया भारत के अम्बर पर चमका अमर ,अटल वह ध्रुव तारा !
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तुमको पथ से डिगा सके वो तीर यहाँ नाकाम हुआ
द्वेष-कपट से भरा हुआ बल वैरी का निष्काम हुआ
कोटि-कोटि नतमस्तक ,गूँजे 'अमर रहो' के जयकारे
जिसमें तुमने जन्म लिया है वह घर तीरथधाम हुआ ।
23.1.21
माँ भारती के अमर सपूत सुभाष चन्द्र बोस जी की 125वीं जन्म-जयन्ती पर उन्हें कोटिश: नमन 🙏
ReplyDeleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना आज शनिवार 23 जनवरी 2021 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन " पर आप भी सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद! ,
हृदय से आभार श्वेता जी 🙏💐
Deleteसुभाषित श्रद्धा सुमन ।
ReplyDeleteहम सबका विनम्र नमन ।
वन्दन-अभिनंदन ,हृदय से आभार आपका नूपुरं जी
Deleteबहुत सुन्दर।
ReplyDeleteनेती जी सुभाष चन्द्र बोस को शत-शत नमन।
राष्ट्रीय बालिका दिवस की बधाई हो।
सादर वन्दन-अभिनंदन , हृदय से आभार आदरणीय 🙏
Deleteएक असाधारण व्यक्तित्व को एक असाधारण श्रद्धांजलि दी है आपने । अति-प्रशंसनीय । भाव-विभोर कर देने वाला ।
ReplyDeleteहृदय से आभार आपका!
ReplyDeleteसचमुच नेता जी का स्मरण मन में गर्व और आह्लाद भरता है 🙏