Friday, 28 May 2021

161-ताऊ जी












आज पढ़िएगा ....चारों ओर फैली बेचैनियों के बीच एक हल्की- फुल्की रचना - 


दिन भर कितना लाड़ लड़ाते ताऊ जी 

नई कहानी रोज़ सुनाते ताऊ जी ।


भूलें चाहे पापा जी टॉफ़ी लाना 

दूध जलेबी खूब खिलाते ताऊ जी ।


चाचा कहते पढ़ ले, पढ़ ले , ओ मोटी ! 

उनको अच्छे से धमकाते ताऊ जी ।


कठिन पढ़ाई जब भी मुझको दुखी करे 

बड़े प्यार से सब समझाते ताऊ जी ।


छीन खिलौने जब भी भागे है भैया

कान खींचकर उसको लाते ताऊ जी ।


माँ-पापा संग शहर में आई हूँ लेकिन

याद बहुत ही मुझको आते ताऊ जी।

('जय विजय' के मई, 21 अंक में)

Jyotsna Sharma

13 comments:

  1. याद बहुत ही मुझको आते ताऊ जी 🙏

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  2. बहुत सुंदर भावों भरी, बचपन की सुनहरी और संयुक्त परिवार की सुंदर छवियां प्रस्तुत करती रचना ।

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    1. स्नेहसिक्त प्रतिक्रिया के लिए हृदय से आभार जिज्ञासा जी!

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  3. बहुत ही प्यारी रचना बहुत ही खूबसूरती से भावों को व्यक्त किया है आपने मैम

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    1. हृदय से आभार व्यक्त करती हूँ 🌷🙏

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  4. वाह! आत्मीयता की सुरभि बिखेरती सुंदर रचना!

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  5. बहुत-बहुत धन्यवाद आपका 🌷🙏

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