आज पढ़िएगा ....चारों ओर फैली बेचैनियों के बीच एक हल्की- फुल्की रचना -
दिन भर कितना लाड़ लड़ाते ताऊ जी
नई कहानी रोज़ सुनाते ताऊ जी ।
भूलें चाहे पापा जी टॉफ़ी लाना
दूध जलेबी खूब खिलाते ताऊ जी ।
चाचा कहते पढ़ ले, पढ़ ले , ओ मोटी !
उनको अच्छे से धमकाते ताऊ जी ।
कठिन पढ़ाई जब भी मुझको दुखी करे
बड़े प्यार से सब समझाते ताऊ जी ।
छीन खिलौने जब भी भागे है भैया
कान खींचकर उसको लाते ताऊ जी ।
माँ-पापा संग शहर में आई हूँ लेकिन
याद बहुत ही मुझको आते ताऊ जी।
('जय विजय' के मई, 21 अंक में)
Jyotsna Sharma
याद बहुत ही मुझको आते ताऊ जी 🙏
ReplyDeleteबहुत सुंदर भावों भरी, बचपन की सुनहरी और संयुक्त परिवार की सुंदर छवियां प्रस्तुत करती रचना ।
ReplyDeleteस्नेहसिक्त प्रतिक्रिया के लिए हृदय से आभार जिज्ञासा जी!
Deleteबहुत ही प्यारी रचना बहुत ही खूबसूरती से भावों को व्यक्त किया है आपने मैम
ReplyDeleteहृदय से आभार व्यक्त करती हूँ 🌷🙏
Deleteवाह! आत्मीयता की सुरभि बिखेरती सुंदर रचना!
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद आपका 🌷🙏
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ReplyDeleteनरसिम्हा आरती लिरिक्स | Narasimha Aarti Lyrics
ReplyDeleteवृन्दावन धाम अपार जपे जा राधे राधे भजन लिरिक्स |
ReplyDeleteहरे कृष्ण 🙏
Deletejubin nautiyal song दिल गलती कर बैठा है
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