Monday, 24 May 2021

160-आँखों में सपनों की महफिल

 




छोड़ो भी अब तो नादानी
मत छेड़ो वह तान पुरानी।

उड़े न चिड़िया अमन-चैन की
डालो इसको दाना पानी।

प्रेम- मुहब्बत के रंगों से 

दुनिया की तस्वीर सजानी ।

ठान अगर तुम लोगे मन में
मुश्किल भी होगी आसानी ।

चोट बहुत पहुँचाया करती
ये अपनों की नाफ़रमानी ।

मिल जाएँगे जब दिल से दिल
बात बनेगी तब लासानी ।

आँखों में सपनों की महफिल
दिल में यादें ,दिलबर जानी !

डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा 

(चित्र गूगल से साभार)




9 comments:

  1. उड़े न चिड़िया अमन-चैन की
    डालो इसको दाना-पानी .....जय हिंद !

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  2. उड़े न चिड़िया अमन-चैन की
    डालो इसको दाना पानी।

    प्रेम- मुहब्बत की कलियों से
    दुनिया की तस्वीर सजानी ।वाह बहुत ही खूबूसूरत रचना है। खूब बधाई

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  3. बहुत दिलकश ग़ज़ल कही है आपने।

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  4. हार्दिक धन्यवाद आपका 🙏

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  5. उड़े न चिड़िया अमन-चैन की
    डालो इसको दाना पानी
    वाह बहत सुंदर गज़ल

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  6. हार्दिक धन्यवाद आपका 💐🙏

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  7. सुंदर भावों का अनूठा सृजन ।

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  8. बहुत आभार सखी 🌹🙏

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