छोड़ो भी अब तो नादानी
मत छेड़ो वह तान पुरानी।
उड़े न चिड़िया अमन-चैन की
डालो इसको दाना पानी।
प्रेम- मुहब्बत के रंगों से
दुनिया की तस्वीर सजानी ।
ठान अगर तुम लोगे मन में
मुश्किल भी होगी आसानी ।
चोट बहुत पहुँचाया करती
ये अपनों की नाफ़रमानी ।
मिल जाएँगे जब दिल से दिल
बात बनेगी तब लासानी ।
आँखों में सपनों की महफिल
दिल में यादें ,दिलबर जानी !
डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा
(चित्र गूगल से साभार)
उड़े न चिड़िया अमन-चैन की
ReplyDeleteडालो इसको दाना-पानी .....जय हिंद !
उड़े न चिड़िया अमन-चैन की
ReplyDeleteडालो इसको दाना पानी।
प्रेम- मुहब्बत की कलियों से
दुनिया की तस्वीर सजानी ।वाह बहुत ही खूबूसूरत रचना है। खूब बधाई
Hruday se aabhaar Sandeep Kumar Sharma ji
Deleteबहुत दिलकश ग़ज़ल कही है आपने।
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद आपका 🙏
ReplyDeleteउड़े न चिड़िया अमन-चैन की
ReplyDeleteडालो इसको दाना पानी
वाह बहत सुंदर गज़ल
हार्दिक धन्यवाद आपका 💐🙏
ReplyDeleteसुंदर भावों का अनूठा सृजन ।
ReplyDeleteबहुत आभार सखी 🌹🙏
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