डॉ• ज्योत्स्ना शर्मा
काँटो
में बिंधना , भले चोट खाना ,
फूलों से सीखा- सदा मुस्कुराना ।
सपने सजाना है और कर्म करना ;
नियति के हाथों ,उन्हें सच बनाना ।।
फूलों से सीखा- सदा मुस्कुराना ।
सपने सजाना है और कर्म करना ;
नियति के हाथों ,उन्हें सच बनाना ।।
बहुत प्रभावशाली मुक्तक
ReplyDeleteउत्साह वर्धन के लिए ह्रदय से आभारी हूँ आपकी ...सादर ज्योत्स्ना
Deleteवह बहुत सुंदर मुक्तक
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद 🙏
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