1-डॉ ज्योत्स्ना शर्मा
1
आई जो भोर
बुझा दिए नभ ने
तारों के सारे दिए
संचित स्नेह
लुटाया धरा पर
किरणों से छूकर ।
2
मन -देहरी
आहट सी होती है
देखूँ, कौन बोलें हैं ?
आए हैं भाव
संग लिये कविता
मैंनें द्वार खोले हैं ।
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